27 फरवरी को अपने मूल स्थान बल्ह के राजगढ़ से लाव लश्कर के साथ करेगी प्रस्थान
पवन देवगन ठाकुर
नेरचौक, 25 फरवरी : बल्ह घाटी के राजगढ़ गांव की आराध्य देवी श्री कोयला भगवती इस बार अपने दिव्य रथ में नए स्वर्णिम स्वरूप के साथदेवकुंभ शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होंगी। माघ मास में मां के नए बने स्वर्ण मुखों व आभूषणों की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। देवी कोयला भगवती दिव्य स्वर्ण रथ में सुसज्जित होकर 27 फरवरी 2025 को बल्ह घाटी के राजगढ़ गांव में स्थित अपने भंडार से पूरे लाव लश्कर के साथ छोटी काशी के लिए रवाना होंगी। माता के पुजारी, कारदार, बजतरी और सभी देवलू उनके साथ रहेंगे। 27 फरवरी को माता छोटी काशी के आराध्य देवता श्री माधव राय जी के मंदिर में देवता से मिलन करेंगी। वहां पर माता का शिवरात्रि महोत्सव में पहुंचने पर स्वागत सत्कार किया जाता है। 5 मार्च तक दिन में पडल मैदान में भक्तजन माता के दर्शन करेंगे तथा रात्रि में माता भक्तों के घर में जाकर आतिथ्य स्वीकार करेगी।
52 प्रकार की व्याधियों को करता है शांत,18 जातियों की है कुलदेवी
श्री देवी कोयला भगवती अपने पुजारी परिवार जो कि कोलमपुर बंगाल से आकार राजगढ़ गांव में बसे हैं उनके घर में आटे के बर्तन में चांदी के छोटे से मोहरे के रूप में प्रकट हुई है और यही माता कोयला भगवती का मूल मुख है। बुजुर्गों के द्वारा बताया जाता है की राजगढ़ गांव में किसी समय में मड़भखण देवी का प्रकोप था, जिस कारण वहां मातम छाया रहता था तथा क्रोल शमशान में रोज चिताएं जलती थी। मां श्री देवी कोयला भगवती की कृपा से जलती चित्ता की आग शांत हुई। लोगों ने मां को ठंडी आग मां कोयला के नाम की उपमा देकर मां का जय जयकार किया। जिससे राजगढ़ का मातम और मड़भखण देवी का प्रकोप शांत हुआ। पुजारी मोहन लाल बताते है कि माता ने राजगढ़ गांव की पीपलू धार में एक अनोखा चमत्कार दिखाया। जहां बड़ी सी काली चट्टान से घी निकलना शुरू हुआ और भक्तों ने उसी स्थान पर माता का भव्य मंदिर का निर्माण किया माता के उसी स्थान को मां का मूल स्थान जानकर भक्तों ने माता को पिंडी के रूप में स्थापित किया। मां कोयला भगवती को भक्त अपनी कुलदेवी के रूप में आज भी पूजते हैं मूल स्थान में आकर दर्शन करते हैं माता सभी की मन्नतें पू्र्ण करती है। माता कोयला भगवती 52 प्रकार की व्याधियों को शांत करती हैं और 18 प्रकार की जातियों की कुलदेवी हैं।

