हिमाचल प्रदेश में चंदन की खेती के जनक है करसोग के भूप राम शर्मा
प्रदेश में पांच लाख से अधिक चंदन के पौधे हो चुके हैं तैयार, किसानों को होगा आर्थिक लाभ
राजीव बहल ब्यूरो मंडी
हिमाचल प्रदेश की जलवायु चंदन की खेती के लिये न केवल उपयुक्त है बल्कि प्रदेश के किसानों की आर्थिकी को मजबूती प्रदान करने में भी अहम कदम साबित हो सकती है। प्रदेश में चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिये मंडी जिला के चुराग (करसोग) निवासी 50 वर्षीय भूप राम शर्मा पिछले 12 वर्षों से चंदन की खेती को निरंतर प्रयासरत हैं। इनके अब तक के प्रयासों से प्रदेश में लगभग पांच लाख चंदन के पौधे न केवल तैयार कर लिये गए हैं बल्कि इन पौधों की उम्र 4 से 6 वर्ष के मध्य भी हो चुकी है। ऐसे में भूप राम शर्मा को हिमाचल प्रदेश में चंदन की खेती का जनक कहें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर में पहुंचे भूप राम शर्मा से बातचीत की तो इनका कहना है कि वर्ष 2006 में आध्यात्मिक दृष्टि से चंदन के महत्व बारे उन्होने कार्य प्रारंभ किया। वेदों एवं आध्यात्मिक ग्रंथों में चंदन को सबसे पवित्र पौधा बताया गया है। इसे विष नाशक, रोग नाशक तथा आयुवर्धक माना गया है। ऐसे में प्रदेश में चंदन की खेती की संभावनाओं पर उन्होने प्रयास प्रारंभ किये।
उन्होने बताया कि वर्ष 2008 में सुंदर नगर में चंदन की अवैध लकड़ी के पकडऩे जाने का समाचार पढ़ा तो उन्हे लगा कि प्रदेश में न केवल चंदन तैयार हो सकता है बल्कि चोरी छिपे इसे तैयार भी किया जा रहा है। ऐसे में चंदन की खेती को लेकर न केवल वे प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर वन विभाग के बड़े अधिकारियों से मिले तथा चंदन की खेती बारे मार्गदर्शन प्राप्त किया। इसी संबंध में उन्होने वर्ष 2008 में देहरादून, 2009 में चेन्नई व केरल का दौरा किया तथा चंदन की खेती बारे जानकारी प्राप्त की। बाद में भारतीय वुड साइंस शोध संस्थान बेंगलुरु भी गये तथा चंदन की खेती बारे प्रशिक्षण प्राप्त करने को आवेदन दिया। उनका कहना है कि वर्ष 2015 को देश में पहली बार किसानों के लिये चंदन की खेती का प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ तथा उन्होने स्वयं 2017 में बेंगलुरु से एक सप्ताह का प्रशिक्षण हासिल किया। प्रदेश में चंदन की खेती को लेकर केंद्रीय मंत्रियों से लेकर प्रदेश के सांसदों से भी मिले। इस बीच तत्कालीन केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने चंदन की खेती को स्किल इंडिया में शामिल करने का भी आश्वासन दिया।
2008 में चंदन की नर्सरी तैयार करने को शुरू हुए प्रयास, 2014 में मिली सफलता
भूप राम शर्मा का कहना है कि वर्ष 2008 में देहरादून से चंदन के बीच लेकर आये तथा इन्हे उगाने का प्रयास किया लेकिन सफलता प्राप्त नहीं हुई। इसके बाद वे लगातार देश के विभिन्न स्थानों में पहुंचकर इसका तकनीकी अध्ययन करते रहे तथा वर्ष 2014 को तत्तापानी में चंदन की नर्सरी तैयार करने में सफलता प्राप्त हुई। वर्तमान में वे इस नर्सरी से प्रति वर्ष लगभग 60 हजार चंदन के पौधे तैयार कर किसानों को बांट रहे हैं। इसके अतिरिक्त कोलर नाहन में भी वे प्रति वर्ष 8-9 हजार चंदन के पौधे तैयार कर रहे हैं तथा अब तक प्रदेश में लगभग पांच लाख चंदन के पौधे तैयार करने में कामयाब हो चुके हैं।
12 वर्ष में चंदन का एक पौधा देता है एक लाख रूपये का उत्पाद, पौधे की सफलता दर है 10 प्रतिशत
भूप राम शर्मा का कहना है कि रोपण के बाद चंदन के पौधे की सफलता दर लगभग 10 प्रतिशत तक रहती है। वे किसानों को तीन वर्ष तक पौधे उपलब्ध करवाते हैं। जहां तक आर्थिक पक्ष की बात है तो चंदन का एक पौधा पांच वर्ष की आयु में लगभग 5 से 20 हजार जबकि 12 वर्ष की आयु तक 20 से 50 हजार रूपये तक की आमदनी देता है जबकि काटने पर 50 हजार से एक लाख रूपये तक की आमदनी हो जाती है।
हिमाचल में बर्फ रहित क्षेत्रों में आसानी से उग सकता है चंदन का पौधा
उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश में बर्फ रहित क्षेत्र में चंदन के पौधे को उगाया जा सकता है। यह पौधा हिमाचल प्रदेश में किसानों की आर्थिकी को एक नई दिशा दे सकता है। वे कहते हैं कि चंदन का एक वर्ष का पौधा 40 रूपये जबकि दो साल का पौधा 200 रूपये में किसानों को उपलब्ध करवाते हैं। तीन वर्ष तक यदि पौधा मर जाता है तो वे फ्री में उसके बदले पौधा किसान को उपलब्ध करवाते हैं। साथ ही तैयार उत्पाद को भी वे स्वयं खरीद रहे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस संदर्भ में राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन का कहना है कि करसोग के भूप राम शर्मा हिमाचल प्रदेश के चंदन पुरुष हैं जिनके प्रयासों से आज प्रदेश में न केवल चंदन की खेती बड़े पैमाने पर आगे बढ़ी है बल्कि वर्तमान में पांच लाख से अधिक पौधे तैयार हो चुके हैं।
प्रदेश में चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए चंदन को 75 प्रतिशत अनुदान वाले पौधे में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा ताकि यहां के किसानों को इसका लाभ प्राप्त हो सके। इसके अलावा चंदन के पौधे से तैयार होने वाले बायो प्रोडक्टस को इंक्यूबेशन केंद्र के माध्यम से भी शामिल करने का प्रयास किया जाएगा ताकि चंदन के आर्थिक पहलुओं पर गंभीरता से शोध कार्य किया जाएगा ताकि किसानों को इसका सीधा लाभ प्राप्त हो सके।
उनका कहना है कि भूप राम शर्मा ने चंदन की खेती को केवल आर्थिक लाभ की दृष्टि से ही प्रदेश में आगे नहीं बढ़ाया है बल्कि आध्यात्मिक पहलुओं को भी ध्यान में रखते हुए इस कार्य कर रहे हैं जो एक सराहनीय कार्य है।