राकेश जम्वाल बोले “सुंदरनगर में राजनीतिक द्वेष और कांग्रेसी नेताओं की ओझी राजनीति का शिकार हो रहे मासूम छात्र”
पवन देवगन ठाकुर
सुंदरनगर, 23 अगस्त : प्रदेशभर में सैंकड़ों स्कूल बंद करने के राज्य की सुक्खू सरकार के निर्णय पर प्रदेश भाजपा मुख्य प्रवक्ता और सुंदरनगर विधायक राकेश जमवाल ने तीखा हमला करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में एक विशिष्ठ स्थान रखता है परंतु पिछले 20 महीनों में वर्तमान राज्य सरकार की अव्यवस्थित कार्यप्रणाली और शिक्षा विरोधी निर्णयों ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर ग्रहण लगा कर रख दिया है। एक साथ ही प्रदेश के सैंकड़ों स्कूलों पर ताला लगाने का फैसला सैंकड़ों मासूमों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा चुका है। उन्होंने इस निर्णय का विरोध करते हुए राज्य सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उन्होंने कहा की शायद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों से वाकिफ नहीं हैं जिस कारण उन्होंने बिना किसी विचार विमर्श के ऐसा छात्र और शिक्षा विरोधी निर्णय आनन फानन में लिया है। उन्होंने कहा सरकार का कार्य शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधा को सुदृढ़ करना होता है ना की उसे कमजोर करना। उन्होंने कहा कि सुंदरनगर विधनसभा क्षेत्र में ही पिछले 20 महीनों में राजनीतिक द्वेष और कांग्रेसी नेताओं की ओझी राजनीति के कारण शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है । इस राजनीतिक द्वेष के कारण लगातार एकतरफा स्थानांतरण किए जा रहे हैं जिसके कारण अनेकों विद्यालय बिना अध्यापकों के चल रहे हैं और कुछ सरकार के कुप्रबंधन से बंद हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि रा. के. प्रा. पाठशाला दोघरी में एक मात्र अध्यापक का स्थानांतरण कर दिया गया है और आज यह पाठशाला बिना नियमित अध्यापक के है। वहीं रा. प्रा. पाठशाला समौल केवल एक मात्र अध्यापक के चल रही है और उसका भी स्थानांतरण कर दिया गया है। रा. प्रा. पाठशाला बाढू पिछले दो वर्षो से बिना अध्यापक के चल रही है। रा. प्रा. पाठशाला चेऊरी के छात्र भी पिछले दो वर्षो से अध्यापक के इंतजार में थे परंतु सरकार के उदासीन रवैया के कारण वहां के अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेज चुके है और स्कूल बंद हो चुका है। उन्होंने कहा ये सभी स्कूल 50 से 60 किलो मीटर की दूरी से प्रतिनियुक्ति पर हैं। उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि माध्यमिक पाठशाला हाडा बोई से तो प्रधानाचार्य का ही तबादला कर दिया गया और आज तक यहां किसी प्रधानाचार्य को नहीं भेजा गया।