पवन देवगन ठाकुर।
कहते है हौसले बुलंद हो व् कुछ कर दखाने का जज्बा मन में हो तो इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। ऐसा ही कुछ बल्ह के एक युवा ने कर दिखाया है। बल्ह विधानसभा क्षेत्र के खियुरी गांव के निवासी सनी ठाकुर पुत्र सूरज ठाकुर ने 75 प्रतिशत दिव्यांगता होने के पश्चात भी अपने बुलंद हौसलों के चलते एक अनोखा कारनामा करके दिखाया है।
30 वर्षीय सनी ठाकुर ने वर्ल्ड टफैस्ट रोड़ एशियन बुक ऑफ रिकॉर्ड व इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाने हेतु हिमाचल प्रदेश व जम्मू कश्मीर के दुर्गम सड़क मार्गों से होते हुए अपनी कार द्वारा जोखिम भरे 2500 किलोमीटर के सफर को पूरा किया। शनिवार को उनके घर पहुंचने पर उनके परिवार के सदस्यों व ग्रामीणों ने उनका पुष्प व फूलमालाओं द्वारा भव्य स्वागत किया।
सनी ठाकुर को 8 अप्रैल को बल्ह के विधायक इंद्र सिंह गांधी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। उन्होंने अपनी इस कठिन यात्रा के दौरान सिस्सू, चैरी, पांगी, किलाड़, किश्तवाड़, श्रीनगर, सोनमार्ग, जोजिला पास, लेह, दुनिया के सबसे ऊंचे सड़क मार्ग खरदूंगला पास, चाइना बॉर्डर पर पैंगोंग झील जैसे दुनिया के खतरनाक सड़क मार्ग से होते हुए एक सप्ताह के पश्चात 16 अप्रैल को वापिस अपने गृह स्थान खियुरी पहुंचे। इस यात्रा हेतु उन्होंने सरकार के मानदंडों के अनुसार अपनी गाड़ी को अत्याधुनिक तरीके से मॉडिफाई भी करवाया था। उनके पांवों के काम न करने की वजह से उनकी गाड़ी की ब्रेक और एक्सेलेटर का कंट्रोल हाथों में दिया गया था। जिस वजह से इतना लंबा सफर तय करने पर उनके कंधों और बाजुओं में दर्द व पांव में सूजन आ गई थी।
सन्नी ने बताया कि सिंगल रोड़ होने के कारण उन्हें अन्य वाहनों को पास देने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन इन सब कठिनाइयों के पश्चात भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। सनी ठाकुर का अगला लक्ष्य पैरा ओलिंपक खेलों में भाग लेना है। जिसके लिए उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर सुविधा मुहैया करवाने की गुहार भी लगाई है।
सनी ठाकुर इससे पूर्व एक सामान्य खिलाड़ी के रूप में बिलासपुर हॉस्टल में कोचिंग ले रहे थे। लेकिन एक दुर्घटना के चलते उन्हें दिव्यांगता का सामना करना पड़ा। लेकिन फिर भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अन्य दिव्यांगों को संदेश देते हुए कहा है कि दिव्यांगता को अपनी कमजोरी ना बनाकर उसे अपनी ताकत बनाएं।