*पवन देवगन ठाकुर*
09 मई, नेरचौक:
कृषि प्रशिक्षु यूनियन से प्रदेश सरकार कृषि परीक्षाओं को लेकर खिलवाड़ कर रही है। बार बार आश्वाशन के सिवाय कुछ नहीं मिल रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष संजय नायक ने आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि यूनियन लगभग 4 वर्ष से भी अधिक समय से प्रदेश सरकार से आई सी ए आर की शर्त में छूट देकर कृषि प्रसार अधिकारियों की भर्ती करने की मांग उठा रही है लेकिन प्रदेश सरकार सिर्फ आश्वासन दे कर उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रही है ।
जिसके चलते हजारों प्रशिक्षण प्राप्त कृषि प्रशिक्षुओ मे रोष पनपना शुरू हो गया है। रोष स्वरूप अब कृषि यूनियन प्रदेश सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को पूर्ण करने के लिए आंदोलन शुरू करने जा रही है। यूनियन ने प्रदेश सरकार को 12 मई तक का अल्टीमेटम दिया है कि हमारी समस्याओं और मांगों पर सरकार सकारात्मक कदम नहीं उठाती है तो 17 मई को कृषि यूनियन के बैनर तले हजारों कृषि प्रशिक्षु शिमला पहुंचकर मुख्यमंत्री से मिलेंगे और तब तक शिमला से वापस नहीं आएंगे जब तक उनकी मांगे पूर्ण नहीं की जाती है।
उन्होंने बताया कि लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री व विधायकों के माध्यम से कई बार मांग पत्र दे चुके हैं लेकिन मांग पत्र पर प्रदेश सरकार द्वारा गौर नहीं किया गया।
पवन नायक ने बताया कि हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में सीमित सीटें होने या दाखिला ना हो पाने की वजह से मजबूरन प्रदेश के हजारों युवाओं ने अन्य राज्यों के कृषि विश्वविद्यालय से पढ़ाई वह डिग्री प्राप्त की है। सभी विश्वविद्यालय यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में आईसीएआर का ही सिलेबस पढ़कर छात्रों द्वारा बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री प्राप्त की जाती है। वर्ष 2018 में आर एंड पी रूल्स कृषि विभाग में विभिन्न पदों में नौकरी के लिए सिर्फ आईसीएआर की मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से ही डिग्री प्राप्त की हो उन्हें परीक्षा में बैठने तथा विभाग में सरकारी सेवाएं देने के अधिकार छीन लिया गया है। उन्होंने बताया कि आज से पूर्व कृषि विभाग में उच्च और निम्न पद के जितने भी अधिकारी कर्मचारी अपनी सेवाएं दे गये हैं या दे रहे हैं उनमें अधिकतर यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है तो अब उनके साथ यह अन्याय क्यों किया जा रहा है। यहां तक कि मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश में कृषि क्षेत्र में चल रही है राज्य व केंद्रीय प्रायोजित गैर सरकारी योजनाओं जिसमें आत्मा ,जायका, एच डी पी आदि शामिल है, में भी भर्ती के लिए यह शर्त लगाई जा रही है जोकि तर्कसंगत नहीं है। हालांकि विभाग में कार्यरत मैट्रिक व प्लस टू और लेबरर को भी प्रमोट करके ऑफिसर लाइन में लाया जा रहा है तथा बीएससी एमएससी की डिग्री प्राप्त को कह दिया जाता है कि आप योग्य नहीं है जो कि न्याय संगत नहीं है। प्रदेश के हजारों बेरोजगार युवकों ने कृषि में बीएससी और एमएससी कर रखी है।
उन्होंने यह भी बताया कि कृषि विभाग में ही यह शर्त लगाई गई है और जबकि हॉर्टिकल्चर ,फ्लोरीकल्चर और फॉरेस्ट्री आदि में भर्ती के लिए यह शर्त नहीं लगाई गई है। कृषि विभाग में आईसीएआर की शर्त लगने से उनके साथ अन्याय हो रहा है उन्होंने प्रदेश सरकार से कृषि विभाग के आर एंड पी रूल्स में एक और बदलाव करने पर चिंता जताते हुए कहा कि जो 50% बेच बाईज भर्तियां होती थी वह भी बंद कर दी गई है, जबकि कृषि विभाग को छोड़कर सभी विभागों में बैच वाइज पद भरे जाते हैं। इस दृष्टि से उनके साथ पक्षपात पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से कृषि विभाग में आर एंड पी रूल्स सरकार द्वारा अमेंडमेंट करके यह बदलाव किए जाएं और आईसीएआर की इस शर्त को हटा दिया जाए तथा साथ में युवाओं के हक में 50% बैच वाइज भर्ती भी आर एंड पी रूप में शामिल की जाए तभी हजारों कृषि प्रशिक्षुओं का भविष्य सुरक्षित हो पाएगा।
इस अवसर पर उनके साथ प्रधान संजय नायक, महामंत्री लेखराज, मुख्य सलाहकार रवि कुमार तथा मंडी जिला के प्रधान पवन भी मौजूद रहे।