संवाददाता / सुभाष शर्मा
सोलन : डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी की संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) द्वारा बेहतर मानवीय मूल्यों के लिए क्रोध और तनाव प्रबंधन पर एक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन सॉफ्ट स्किल्स पर एक महीने के सर्टिफिकेट कोर्स का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य व्यक्तित्व विकास के माध्यम से छात्रों के कौशल उन्नयन और क्षमता निर्माण करना है।
आध्यात्मिक कार्यक्रम का संचालन प्रजापिता ब्रह्मा कुमारिस ईश्वरीय विश्वविद्यालय, सोलन केंद्र की प्रभारी दीदी सुषमा और उनकी टीम द्वारा किया गया, जिसमें बीके बबीता, बीके कल्पना, बहन अंबिका और भाई श्याम शामिल थे। मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी बहन सुषमा ने व्यक्तियों और समाज की समग्र विकास के लिए मानवीय मूल्यों के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए विचारों, कार्यों की शुद्धता की आवश्यकता है और हमें अनुशासन, ईमानदारी और उच्चतम पेशेवर नैतिकता के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध मन और आत्माओं के माध्यम से एक सफल जीवन व्यतीत किया जा सकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय के 80 स्नातक छात्रों के लिए एक ध्यान सत्र भी आयोजित किया।
बहन बबीता ने क्रोध प्रबंधन के महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा की और क्रोध को नियंत्रित करने के सरल साधनों का प्रदर्शन किया। उन्होंने सभी छात्रों से गुणवत्तापूर्ण जीवन के लिए अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने का आह्वान किया। बहन कल्पना ने ध्यान के माध्यम से तनाव और चिंता प्रबंधन पर चर्चा की, जबकि बहन अंबिका ने एक सरल शांतिपूर्ण जीवन पर चर्चा की।
कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने छात्रों को अनुशासित, स्वस्थ और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्था की सराहना की। उन्होंने बताया कि जल्द ही 20 से 25 छात्रों का एक समूह माउंट आबू में ब्रह्माकुमारी मुख्यालय का दौरा करेगा और केंद्र द्वारा अपनाए जा रहे सौर ऊर्जा के उपयोग और पर्यावरण-कृषि-आधारित कृषि मॉडल को देखेगा। सर्टिफिकेट कोर्स के समन्वयक डॉ. आशु चंदेल ने सभी छात्रों को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए बधाई दी और बताया कि भविष्य में इस तरह के और आयोजन किए जाएंगे। आईडीपी परियोजना के समन्वयक डॉ केके रैना ने बताया कि ब्रह्मकुमारियों के साथ सहयोगात्मक गतिविधियों को और मजबूत किया जाएगा।
औदयानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ. मनीष कुमार ने छात्रों को आशीर्वाद दिया और सभी छात्रों से स्वस्थ व्यक्तित्व विकसित करने का आह्वान किया। यूनिवर्सिटी लाइब्रेरियन डॉ वाई आर शुक्ला ने आध्यात्मिकता पर ई-लर्निंग संसाधनों की उपलब्धता के माध्यम से छात्रों को हर संभव सहायता सुनिश्चित की। डॉ. यास्मीन जंजुआ और डॉ. रश्मि चौधरी ने समापन टिप्पणी और धन्यवाद प्रस्ताव दिया।