संवाददाता / प्रदीप चंदेल
बिलासपुरहिमाचल प्रदेश के विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में उत्तराखंड के जोशीमठ जैसे हालात पैदा ना हो क्योंकि ऊंची पहाड़ी पर स्थित माता का दरबार हमेशा भूस्खलन की मार झेलता रहा है इसके मद्देनजर मंदिर न्यास श्री नैना देवी ने एक अहम फैसला लिया है जिसकी सराहना की जा रही ।मंदिर न्यास की अहम बैठक में पूर्व सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं कार्यों में से प्रमुख 1 करोड़ 62,लाख से बनने वाला ग्लास ब्रिज तथा 3 करोड रुपए की लागत से बनने वाली लिफ्ट तथा दो करोड़ 33 लाख रूपए से बनने वाले अराइवल हाल के फैसले को सर्वसम्मती से निरस्त कर दिया ! अब यह कार्य वर्तमान में मंदिर न्यास नहीं करेगा जबकि अराइवल हाल के लिए एक करोड रुपए दिए जा चुके हैं उसे संबंधित विभाग को वापस लेने के बारे में भी चर्चा हुई जिसे सभी मंदिर न्यासियों ने सर्वसम्मति से पास किया कि यह कार्य अब नहीं होंगे तथा सबंधित विभाग से पैसे वापिस लिए जायेंगे !उल्लेखनीय है कि जब यह कार्य बीजेपी के द्वारा प्रस्तावित किए गए थे उस समय भी कांग्रेसी नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया था कि इस पर पहाड़ी पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर सहित मंदिर न्यासी प्रदीप शर्मा, महेश शर्मा, प्रभात शर्मा, अमित शर्मा, और कैलाश शर्मा ने इसका विरोध किया था उसी के तहत मंदिर न्यास की पहली बैठक में अब निर्णय लिया गया कि कार्य को निरस्त कर दिया गया है।
मंदिर न्यासी प्रदीप शर्मा का कहना है ।कि माता का मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है हैं और यहां 1978 में भूस्खलन की भारी मार झेल चुका है ।उस समय उनका परिवार विस्थापन का दर्द झेल चुका है। और भूविज्ञानीको की रिपोर्ट के मुताबिक यह श्री नैना देवी की पहाड़ी डेंजर जोन में है। इसलिए किसी प्रकार की पहाड़ी की खुदाई ना हो और इस पहाड़ी पर किसी प्रकार का अतिरिक्त बोझ डाला जाएगा ताकि माता का दरबार पूरी तरह सुरक्षित रहे और इसका आधारभूत ढांचा वैसे ही बरकरार रहे।