संवाददाता/शुभाष शर्मा
सोलन, 15 मई
शूलिनी यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड एनशिएंट इंडियन विजडम की बेलेट्रिस्टिक लिटरेचर सोसाइटी ने इकोपोएट्री पर एक सत्र का आयोजन किया।
सत्र के अतिथि वक्ता तबरेज़ से डॉ. एलमीरा बजरेगरज़ादेह थे, जिन्होंने ईकोसेंट्रिज्म टू इकोपोएट्री के विषय पर बात की। सत्र की शुरुआत डॉ. पूर्णिमा बाली के उद्घाटन भाषण से हुई, जिन्होंने वेबिनार में सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। डॉ. नवरीत साही ने डॉ. एलमीरा का परिचय कराया और उनकी प्रभावशाली शैक्षणिक पृष्ठभूमि के बारे में बात की।
वक्ता ने ईकोसेंट्रिज्म और इकोपोएट्री के संक्षिप्त परिचय के साथ शुरुआत की। उन्होंने मैरी ओलिवर, अमेरिकी इको कवि की कुछ चुनिंदा कविताओं के बारे में बात की, और बड़े पैमाने पर ईकोपोएट्री और ईकोपोएट्स के मकसद और आवश्यकता को समझाया, वर्ड्सवर्थ से ओलिवर तक एक इकोक्रिटिकल लेंस के माध्यम से साहित्य को देखने की आवश्यकता पर बल दिया।
यह साहित्य की पारिस्थितिक समझ का एक बहुत ही व्यावहारिक और सूचनात्मक सत्र था और पश्चिमी और पूर्वी दर्शनशास्त्र का इकोपोएट्री और इकोक्रिटिकिज्म में विलय था, जहाँ उन्होंने ताओवाद के बारे में विस्तार से बताया। सत्र का समापन प्रोफेसर तेज नाथ धर की टिप्पणियों के साथ हुआ, जिसके बाद प्रोफेसर नासिर देशपायमा और डॉ एकता सिंह ने सवाल-जवाब किए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ सिद्धार्थ डढवाल ने किया।