संवाददाता/सुभाष शर्मा
डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा विकसित एक टेम्परेट गाजर की किस्म को शीतोष्ण समूह में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इसके अतिरिक्त इस किस्म ने देश के जोन IV जिसमें उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पंजाब के कुछ हिस्से शामिल है मे भी सराहनीय प्रदर्शन किया हैं।यह किस्म-,2019/CART(T)/VAR-5, को वर्ष 2017 में नौणी विवि में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की सब्जी फसलों पर आधारित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRP) के सोलन केंद्र के प्रोफेसर और प्रधान अन्वेषक डॉ. रमेश भारद्वाज द्वारा विकसित किया गया था। इस परियोजना के अन्य सदस्य डॉ. संदीप कंसल, डॉ. डीके मेहता, डॉ. कुलदीप ठाकुर, डॉ. राकेश और डॉ. रीना कुमारी भी इस किस्म के बीजों के रखरखाव और बड़े पैमाने पर इसके मल्टीप्लीकेशन से जुड़े थे।अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसल) के सोलन केंद्र के प्रधान अन्वेषक डॉ. रमेश भारद्वाज ने बताया कि हाल ही में श्रीनगर में आयोजित एआ॰ई॰सी॰आर॰पी॰ की 41वीं वार्षिक समूह बैठक के दौरान ए॰आ॰ई॰सी॰आर॰पी॰ के जोन IV के लिए इस किस्म के प्रदर्शन की सराहना की गई और इसे टेम्परेट फसल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वाली किस्म के रूप में घोषित किया गया। वार्षिक समूह की बैठक के दौरान, एक वैरायटी पहचान समिति ने देश के विभिन्न केंद्रों के बीच टेम्परेट समूहों में विश्वविद्यालय की इस किस्म को सर्वोत्तम घोषित किया। यह किस्म हिमाचल और अन्य पहाड़ी राज्यों, जहां इसने बहुत अच्छे परिणाम दिखाए हैं, के किसानों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने बताया कि इस किस्म का मल्टीप्लाई किया गया था और इसके बीज को देश में एआईसीआरपी के माध्यम से समशीतोष्ण गाजर के विभिन्न किस्मों के परीक्षणों के तहत आगे के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए भेजा गया। विश्वविद्यालय आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज और सेंट्रल वैरायटी रिलीज कमेटी के पास किस्म को पंजीकृत करेगा ताकि व्यावसायिक खेती के लिए इस किस्म की सिफारिश की जा सके।वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि सब्जी फसलों पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के सोलन केंद्र ने विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। 36 नियमित और 24 वॉलंटियर केंद्रों में न केवल देश में सर्वश्रेष्ठ केंद्र का पुरस्कार जीता है, बल्कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किस्म को इसके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सराहा भी गया है। उन्होंने कहा कि गाजर के शीतोष्ण समूह में बहुत कम खुली परागण वाली किस्में हैं और समशीतोष्ण गाजर के संकर बीज बहुत महंगे हैं। यह किस्म खुले परागण वाली होने के कारण आने वाले वर्षों में देश के छोटे और सीमांत किसानों को देश में इसकी खेती करने में मदद करेगी।

