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अव्यवस्था व आधुनिकता की भेंट चढ़ा ऐतिहासिक भंगरोटू मेला 

स्थानीय लोगों ने पूजा-अर्चना कर मेले को जीवित रखने का किया प्रयास

पवन देवगन ठाकुर

नेरचौक,15 मार्च :

शिवरात्रि के पश्चात हिन्दू चैत्र माह के पहले प्रविस्ठे से साजे के दिन शुरू होने वाला ऐतिहासिक जिला स्तरीय भंगरोटू मेला अब सिमटता नजर आ रहा है। जहां इस बार प्रशासन द्वारा इसके आयोजन को लेकर कोई दिलचस्वी नहीं दिखाई वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों व पूर्व प्रधान मनी राम ने रस्म अदायगी को लेकर विधिवत खूंटी गाड़ कर इसे सुचारु रखने के लिए संजीवनी देने का कार्य किया गया। इसमें स्थानीय निवासी तेज राम शर्मा द्वारा मेले का शुभारंभ किया गया तथा उन्होंने इसके आयोजन के लिया 2100 रुपए का चेक भी भेंट किया।

बता दें कि प्राचीन समय से मंडी के राजा जोगिंदर सेन के शासनकाल में भंगरोटू नलवाड़ मेले की शुरुआत सन 1942 में हुई थी। उस समय हिमाचल के साथ पंजाब, हरियाणा, तथा राजस्थान के पशु व्यापारी यहां व्यापार करने आते थे। भंगरोटू नलवाड़ मेले में अच्छी नस्ल के पशुओं की खरीद परोख्त के लिए व्यापारी यहां पहुंचते थे।

यह नलवाड़ मेला सुंदरनगर व बिलासपुर के नलवाड़ मेले के साथ ही शुरू हुआ था।  सुंदरनगर व बिलासपुर के मेलों को प्रदेश स्तर का दर्जा मिल गया लेकिन बल्ह का ऐतिहासिक भंगरोटू नलवाड़ मेला अभी तक अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है।

वर्ष 1942 में शुरू हुआ यह नलवाड़ मेला अब राजनीतिक अव्यवस्था व आधुनिकता की भेंट चढ़ रहा है। पहले खेतों की बिजाई के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता था लेकिन धीरे धीरे बैलों पर तकनीक हावी हो गई और बैलों का स्थान अब मशीनों ने ले लिया है।

गौरतलब है कि राजनीतिक अव्यवस्था के चलते ऐतिहासिक भंगरोटू मैदान हमेशा से ही विवादों में रहा है। वहीं करोना काल में इस मैदान को कोविड अस्पताल के रूप में तब्दील कर दिया गया है। जिससे जगह उपलब्ध न होने की वजह को भी मेले के न होने का मुख्य कारण माना जा रहा है। वर्ष 2014 में इस मेले को नेरचौक व्यापार मंडल द्वारा पुनर्जीवित  किया गया और इस स्थानीय ग्राम देवता सत श्री देव बाला कामेश्वर व अन्य देवी देवताओं को भी बुलाना शुरू किया गया।वहीं 2017 में इस मेले को पांच दिवसीय बनाया गया तथा मेले में दो दर्जन के करीब देवी देवताओं को बुलाया गया। मैराथन रेस, ब्यूटी कॉन्टेस्ट,  बॉडी बिल्डिंग शो, बेबी शो, बेस्ट सिंगर ऑफ बल्ह के अलावा बैडमिंटन, कबड्डी, खो खो जैसी खेलों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम व स्टार नाइट्स का आयोजन भी किया गया।  लेकिन अब मैदान में कॉविड  डेडीकेटेड अस्पताल बन जाने के चलते और जगह न होने के चलते मेला अपना स्वरूप  खो चुका है।

वहीं एसडीएम बल्ह विशाल शर्मा ने बताया कि मेले के लिए स्थान उपलब्ध नहीं होने के कारण आयोजन नहीं हो पाया है।

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