श्री नैना देवी जी——प्रदीप चंदेल
*श्री नैना देवी जी विधानसभा क्षेत्र की सलोआ पंचायत के खाल और टिब्बा गांव की लोग इस बार करेंगे चुनावों का बहिष्कार।*
श्री नैना देवी जी विधानसभा क्षेत्र की सलोआ पंचायत के टिब्बा और खाल गांव के लोग पिछले लगभग 22 वर्षों से 5 किलोमीटर कच्ची सड़क को पक्का करने की मांग कर रहे हैं।
परंतु सरकार ने आज तक इनकी कोई सुध नहीं ली है लोगों का कहना है कि पिछले 22 सालों में कांग्रेस और भाजपा की सरकारे प्रदेश में रही हैं। परंतु आज तक दोनों ही सरकारों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
गांव के लोगों का कहना है कि खाल डिब्बा गांव की आबादी लगभग 1800के करीब है।और इसमें 300 से 400 के करीब लोगों के घर हैं जिनकी आज तक सरकार ने कोई सुध नहीं ली है।
इससे गांव के लोगों में सरकार के के प्रति काफी रोष है।
राजनेता चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी का हो वह केबल चुनावों के समय वोटों के लिए ही उन्हें सड़क पक्की करने का झूठा आश्वासन आज तक देते आए हैं।
गांव वासियों का कहना है कि एक तरफ पूरा देश आजादी का 75वां महोत्सव मना रहा है और हमारे यहां गांव में आज तक मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है।जिनमें की मुख्य तौर पर सड़क ,स्वास्थ्य सुविधाएं ,शिक्षा के क्षेत्र में भी हमारे गांव अभी तक भी पिछड़े हुए हैं।
गांव वासियों का कहना है कि उन्हें घर की छोटी-छोटी चीजें राशन ,सिलेंडर आदि सामान लेने के लिए भी लगभग चार-पांच किलोमीटर कच्ची सड़क से ही आना पड़ता है।
गांव वालों का कहना है कि अगर गांव में किसी की तबीयत बिगड़ जाती है तो कच्ची सड़क होने के कारण उसे मुख्य सड़क तक लाने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
मुख्य सड़क तक पहुंचने में हुई देरी के कारण यह कच्ची सड़क हमारे कई बीमार गांव वासियों के लिए मृत्यु का कारण भी बन चुकी है।
तथा उनका कहना है कि किसी गर्भवती महिला को भी बड़ी मशक्कत के साथ गांव से उठाकर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है। तथा बरसात के दिनों में तो यहां पैदल चलना भी किसी आफत से कम नहीं होता।
तथा गांव वासियों का कहना है कि इस संदर्भ में उन्होंने मौजूदा विधायक और पूर्व विधायक से कई बार आग्रह कर चुके हैं। परंतु उन्होंने आज तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
इसीलिए लोगों का कहना है कि इस बार सभी गांव वासियों ने यह पक्का मन बना लिया है कि अगर आने वाले चुनावों से पहले खाल से डिब्बा तक की 5 किलोमीटर की सड़क अगर पक्की ना की गई तो ना तो किसी राजनेता को अपने गांव में प्रवेश करने देंगे और ना ही चुनाव के समय अपना वोट किसी भी राजनीतिक पार्टी को देंगे।
तथा पूर्ण रूप से चुनावों का बहिष्कार करेंगे।