संवाददाता/मोनिका ठाकुर(ज्यूरी)
निरमंड की अरसू पंचायत आजकल खासी चर्चा में है यूं तो यहां पर कई विकास कार्यो में घोटाले हुए।लेकिन एक मामला ऐसा है।जिसने भ्र्ष्टाचार की सारी हदें पार कर दी है।बात 2016 की है जब अरसू और बड़ीधार पंचायत एक हुआ करती थी।तत्कालीन प्रधान संतोष कुमारी के कार्यकाल में वार्ड डंडीधार में “निर्माण क़ुर्पन खड्ड से डोभा तक नहर” का मुरम्मत कार्य करने के लिए तीन लाख स्वीकृत हुए।इस कार्य लगे मजदूरों के बयान अनुसार मौके पर ही रेत और पत्थर निकाले और बजरी का कुटान किया।नहर की मुरम्मत के लिए विभाग द्वारा नहर मुरम्मत के लिए पच्चास बेग सीमेंट की स्वीकृति भी हुई थी।लेकिन मौके पर सिर्फ सात बेग ही पहुंच पाए।बाकी सीमेंट कहाँ गया कोई पता नहीं।तत्कालीन पंचायत प्रतिनिधियों के हौंसले घोटाला करने के लिए इतने बुलन्द थे कि जिस सड़क का निर्माण 2018-19 में हुआ।वहाँ 2016 में ही टिप्पर द्वारा निर्माण सामग्री पहुचाई गई।इस कार्य मे लगे वेंडर द्वारा लगे बिल का ब्यौरा इस प्रकार है।
आज कहाँ है मोदी जी की ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ की नीति।
शिकायतकर्ता सर्वदयाल,चमन विष्ट, मोहर सिंह शास्त्री व सुंदर ठाकुर ने कहा कि जांचकर्ता ने इस कार्य मे हुए घोटाले में तत्कालीन पंचायत प्रतिनिधियों पर वसूली के आदेश भी दिए है।लेकिन खण्ड विकास अधिकारी इसमें कोई कड़ा सज्ञान नही ले पा रहे।शायद कोई राजनीतिक दबाव का कारण भी हो सकता है।क्योंकि तत्कालीन प्रधान के पति भाजपा आनी में उपाध्यक्ष व वर्त्तमान में ग्राम पंचायत अरसू के उपप्रधान है।शायद हिमाचल के वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस पर कड़ा सज्ञान ले सकते है।शिकायतकर्ताओं ने ये बयान देते हुए अपनी ये इच्छा व्यक्त की है।