संवाददाता प्रदीप चन्देल / बिलासपुर, 22जनवरी
हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में 5000 फीट ऊंचाई पर स्थित विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में अगर जल्द पहाड़ों की खुदाई का कार्य बंद नहीं किए गए तो जोशीमठ की तरह आने वाले समय में यह धार्मिक स्थल भी भूस्खलन से समाप्ति की कगार पर आ जाएगा
जी हां 1100 बीगा क्षेत्रफल में फैला श्री नैना देवी जी धार्मिक स्थल जोशीमठ जैसे हालात पैदा कर रहा है इस ऊंची पहाड़ी पर बड़े-बड़े होटल मकान सड़कें धड़ाधड़ बन रही है बड़े-बड़े प्रोजेक्ट स्वीकृत करके मंदिर न्यास प्रदेश सरकार भी इस पहाड़ी का खोखला करती जा रही है।उल्लेखनीय है कि इस शक्तिपीठ पर 1978 में भारी भूस्खलन हो चुका है जिसमें इस धार्मिक स्थल का बस अड्डा, बस अड्डे के पास की दुकाने ,आसपास के मकान और ऊपर पहाड़ी पर बाजार में स्थित मकान चपेट में आ गए थे और पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे रातो रात लोग बेघर हो गए थे फिर उनका बसाव किया गया बताया जा रहा है कि उस समय भू विज्ञानियों ने इस क्षेत्र का निरीक्षण किया था और श्री नैना देवी की पहाड़ी को डेंजर जोन में घोषित किया गया था

लेकिन ऐसा प्रतीत होता कि ना तो सरकार ने और ना ही प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान दिया हालांकि समय-समय पर लोगों के द्वारा यह मांग उठती रही कि इस धार्मिक स्थल के बचाव के लिए पहाड़ों की खुदाई वृक्षों का कटान बंद किया जाना चाहिए इस मामले में पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर का कहना है। कि वह कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं उन्होंने कहा कि 1977-78 में जो श्री नैना देवी में भूस्खलन हुआ उस समय भारी तबाही हुई थी यहां तक कि कोला वाला टोबा तक उसका असर देखने को मिला था और उस समय की कि दरारे अभी भी नजर आती हैं रामलाल ठाकुर ने कहा कि उस समय भू वैज्ञानिकों ने यह रिपोर्ट दी थी कि यह पहाड़ी डेंजर जोन में हैलेकिन भाजपा की पिछली सरकार ने जिला प्रशासन ने यहां पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पास करके इस पहाड़ी के लिए खतरा पैदा कर दिया है और लगातार इसकी खुदाई की जा रही है बड़ी-बड़ी चट्टानें जेसीबी मशीनों से बाहर निकाल दी है जिससे अंदर अंदर यह पहाड़ खोखला होता जा रहा है ।उन्होंने कहा कि मंदिर के आसपास की पहाड़ी से तो छेड़छाड़ बिल्कुल नहीं करनी चाहिए थी लेकिन जिस तरह से पहाड़ी की खुदाई करके बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई जा रही हैं उसे यहां पर जोशीमठ जैसे हालात पैदा होने वाले हैं रामलाल ठाकुर यह भी कहा कि पहाड़ी से नीचे रेलवे का कार्य चल रहा है उसमें सुरंगे बनाई जा रही है जिससे भी आसपास के पहाड़ों को खतरा पैदा हो गया है उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार सत्तारूढ़ हो चुकी है और अब इस पहाड़ी पर सभी खुदाई के कार्यों को जल्द से जल्द बंद कर दिया जाएगा ताकि माता रानी की पहाड़ी पूरी तरह से सुरक्षित रह सकें और जोशीमठ जैसे हालात यहां पर पैदा ना हो
विश्व प्रसिद्ध शक्ति पीठ श्री नैना देवी जी मैं पहाड़ों की खुदाई का कार्य बंद नहीं हुए तो हालात जोशी मठ की तरह हो जायेंगे।
इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों से जब बात की गई तो 1978 में भूस्खलन में तबाही का मंजर देख चुके एडवोकेट जिला कांग्रेस महामंत्री प्रदीप शर्मा का कहना है कि उनका पुश्तैनी घर जोकि श्री नैना देवी के बाजार में था।भूस्खलन में पूरी तरह ध्वस्त हो गया और उन्हें मकान छोड़कर ऊपर मंदिर के पास अपना बसाव करना पड़ा उन्होंने कहा कि रातों रात जब भूस्खलन हुआ तो ना तो बस अड्डे का पता चला और ना आसपास की दुकानों का और ना आसपास के घरों का और आज भी वह मंजर उसे डरा देता है।

उन्होंने कहा कि उस समय भू वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार इस पहाड़ी से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए थी लेकिन जिस तरह से यहां पर निर्माण कार्य किए जा रहे हैं उसे कभी भी यहां पर जोशीमठ जैसे हालात पैदा हो सकते है।जबकि स्थानीय निवासी पूर्व मंदिर न्याशी पुजारी सीता राम शर्मा, प्रवेश कुमार ,मनीष कुमार का कहना है कि श्री नैना देवी में पानी की निकासी भी सही नहीं है और जगह जगह पर पहाड़ी खिसक रही है यहां तक कि वार्ड नंबर 3 में कई जगह स्लाइड जॉन बने हुए हैं लेकिन फिर भी इस पहाड़ी पर अतिरिक्त बोझ डालने का कार्य किया जा रहा है जो कि यहां पर हालात और भी खराब कर सकता है।और आने वाले कुछ सालों में यहां पर जो जोशीमठ जैसे हालात पैदा होने वाले हैं उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि यहां पर पहाड़ी की खुदाई पेड़ों के कटान पर बिल्कुल रोक लगाई जानी चाहिए।

