हिमाचल प्रदेश लाइव न्यूज़
छोटे-बड़े नेता समाज में माडल के रूप में आते हैं। यह बड़ा ही दुखद है कि सेवा-धर्म के साथ शुरू हुई राजनीति ने अपना जो कलेवर बदलना शुरू किया तो अब उसका कोई अंत ही दृष्टि में नहीं आता।गिरीश्वर मिश्र : भारत की जनता में सहते रहने की अदम्य शक्ति है और वह सबको अवसर देती है कि नेता अपने वादों और दायित्वों के प्रति सजग रहें, परंतु अधिकांश नेता जनप्रतिनिधित्व के वास्तविक काम को गंभीरता से नहीं लेते। चुनावी सफलता पाने के बाद वे यथाशीघ्र और यथासंभव सत्ता भोगने के उपाय आजमाने लगते हैं। ऐसे में जन-सेवा का वह संकल्प और उत्साह एक ओर धरा रह जाता है जो धूमिल रूप में ही सही उनके मन में कभी तैर रहा होता था। दरअसल वे एक व्यापारी की तरह सोचने और काम करने लगते हैं।
तेजतर्रार, लोकप्रिय और खुद को लोकसंग्रह के लिए समर्पित कहने वाली मुख्यमंत्री की नाक तले इतना कुछ विधिवत अनियमितता के साथ कैसे होता रहा, यह घोर आश्चर्य का विषय है।यह इसका भी प्रमाण है कि राजनीति के खिलाड़ी अहंकार में डूब कर कुछ भी करने को स्वतंत्र मान बैठते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि समाज के स्तर पर इसके कितने दूरगामी परिणाम होंगे। वे जाने-अनजाने अच्छे-बुरे विचारों, व्यवहारों और मूल्यों के बीज बोते चलते हैं। वे आचरण और सफलता के न केवल मानक स्थापित करते हैं, बल्कि उदाहरण भी जनता के सामने पेश करते चलते हैं।
छोटे-बड़े नेता समाज में माडल के रूप में आते हैं। मीडिया की बेहद प्रभावी उपस्थिति से वे समाज के बड़े हिस्से को अपने असर में ले लेते हैं। यह बड़ा ही दुखद है कि सेवा-धर्म के साथ शुरू हुई राजनीति ने अपना जो कलेवर बदलना शुरू किया तो अब उसका कोई अंत ही दृष्टि में नहीं आता। सोशल मीडिया के माध्यम से अपने आप को सही साबित करना, क्या यह सच मे सच होता है। जो दिखाया जा रहा है वह सत्य है या असत्य है इसके बारे में कौन बताएगा।। ऐसा आदमी ठीक नेता कहा जाता है, जो सोशल मीडिया के माध्यम से अपने आपको सही बनाए रखे।
सत्ता में आने के पहले राजनेता चुनावी दंगल में एक व्यापक दृष्टि के साथ सामने आते हैं और अचानक जादू का पिटारा खुलने लगता है। एक के बाद एक वादे किए जाते हैं। ऐसा करते हुए अक्सर सरकारी खजाने की हालत को भी अनदेखा कर दिया जाता है।