ख़राब मौसम की वजह से पिछले साल के आर्थिक नुकसानों के तले दबे हुए हिमाचल प्रदेश के सेब कारोबार से सम्बंधित लोगों में इस बार फिर से डर और अनिश्चिंता का माहौल बना हुआ है। चाहे वो सेब उगने वाले बाग़बान हों, मंडियों को संचालित करने वाले आढ़ती, सेब की आवागमन से जुड़े ट्रांसपोर्टर या फिर निज़ी सी. ऐ. स्टोर ऑपरेटर्स, ये सारे लोग मौसम में आये अचानक बदलाव से चिंतित हैं। इस साल के मुनाफे से ज्यादा बड़ी चिंता इस बात की है की पिछले साल के नुकसान और क़र्ज़ की भरपाई हो पायेगी की नहीं। लेकिन वर्तमान हालात ऐसे हो रखे हैं की प्रति बॉक्स पर 800 – 1000 रूपए तक का नुक्सान चल रहा है (40 – 50 रूपए प्रति किलो)।
साल 2023 की प्रकृतिक त्रासदी के चलते हिमाचल प्रदेश की आधी से ज्यादा सेब की फसल बर्बाद हो गयी थी। हालत ऐसे हो गए थे की किसानों की साल भर की मेहनत के बावजूद भी उनकी कमाई लागत से भी काम रही। शुरुआत के कुछ दिनों में हालाँकि सेब की कीमत में कुछ सुधार दिखा था, लेकिन क्वालिटी के आभाव के कारण वो भी ज्यादा दिन टिक नहीं सका। जिन लोगों ने सेब के भण्डारण के जरिये कुछ बेहतर कमाई की उम्मीद की थी, उचित मूल्यों के अभाव में उन्हें और भी ज्यादा नुक्सान उठाना पड़ा है। यहाँ गौर करने की बात ये है की सेब का भण्डारण और ट्रांसपोर्ट में अच्छी खासी लागत आती है और मुनाफे का मार्जिन हमेशा काफी कम होता है। इस परिस्थिति में उम्मीद बस इस बात पर टिकी होती है की क्वालिटी अच्छी हो और सेब की सप्लाई भी सुचारु रूप से हो। किन्तु 2023 के बाढ़ की वजह से ना तो सेबों की क्वालिटी अच्छी हो पायी, ना उचित मात्रा में मंडियों में माल पहुँच पाया। लोग नुक्सान के बावजूद इस उम्मीद पर कारोबार में ठीके रहे की अगले साल मौसम की मार नहीं पड़ेगी।
लेकिन हिमाचल में फिर से एक बार मौसम ने गलत समय पर करवट ली है और बेमौसम बरसात ने पेड़ों की फ्लॉवरिंग और सेटिंग को नष्ट करना शुरू कर दिया है। इस समय हिमाचल में जहाँ तापमान 24 डिग्री के आसपास और खिली धुप वाला होना चाहिए था, वहीँ करीब-करीब पुरे प्रदेश में फिर से हलकी ठण्ड और बदली का मौसम बना हुआ है।
इन दिनों सेब में फ्लावरिंग का दौर चल रहा है लेकिन लगातार भारी ओलावृष्टि होने से कुल्लू के लगभग एक दर्जन गांवों में सेब फसल पूरी तरह तबाह हो गई जबकि कई जगह सेब के पेड़ों से फूल झड़ गए, हेलनेट फट गए, वहीं जिन बगीचों में एंटी हेलनेट नहीं थी, उनसे फूलों के साथ पत्ते भी गिर गए और इससे सेब की टनहियां व पेड़ भी टूट गए। बारिश के साथ-साथ तापमान के घटने-बढ़ने से भी फसलों पर असर पड़ रहा है और मधुमक्खियां भी सही से परागण नहीं कर पा रही हैं। जाहिर है सही फ्लावरिंग न होने से उत्पादन पर भी गहरा असर पड़ेगा और ये न केवल बागबानों बल्कि प्रोक्योरमेंट सेंटर्स का संचालन करने वाली निजी कंपनियों के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है। यही वजह है कि मौसम विभाग के साथ-साथ यह कंपनियां भी बदलते मौसम की प्रत्येक अपडेट पर नजर गड़ाई हुईं हैं।
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों के लिए भी ख़राब मौसम का अनुमान लगाया है, और मैदानी व मध्यपर्वतीय इलाकों में आसमानी बिजली कड़कने व आधी चलने की आशंका जताई है, जबकि इस दौरान उच्चपर्वतीय इलाकों में लाहौल-स्पीति, किन्नौर, कुल्लू और चम्बा में बर्फ़बारी की सम्भावना जताई है.
स्थिति यहाँ तक ख़राब बताई जा रही है की कुछ निजी स्टोर ऑपरेटर्स पिछले साल के रेट पर खरीदी करने की हालत में ही नहीं हैं। अब सरकारी मदद की आस लगाए किसान और बाकी व्यवसायी इसी उम्मीद में हैं की किसी तरह से बची खुची फसल सही समय पर बिना किसी नुक्सान के तैयार हो जाये।