ब्यूरो /संजय सिंह
रामपुर बुशहर : विकास की दौड़ में कोशगर गांव श्मशान घाट के लिए तरस रहा है। अंतिम संस्कारके लिए ग्रामीणों को गांव नदी किनारे जाना पड़ता है।कोशगर गांव के पास अपना कोई श्मशान घाट नहीं है। पैदल या गाडी मे अंतिम यात्रा लेकर जाना बड़ी परेशानी से कम नहीं है। बरसात के दिनों में दिक्कतें बढ़ जाती हैं। शव को गाडी में रख नदी किनारे पहुंचते है और कुछ दूर कंधा देने की रस्म के बाद अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। कई बार कोई साधन नहीं मिल पाता तो शव पैदल ही नदी तक लेकर जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में शव के दाहकर्म को लेकर बड़ी मुसीबत से जूझना पड़ता है।ग्रामीणों का कहना है। कि शासन या प्रशासन के लिए यह परेशानी महज छोटी-सी हो सकती है, लेकिन ग्रामीणों के लिए किसी बड़े पर्वत के समान है। सरकार बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन कर रही है। करोड़ों-अरबों रूपये खर्च किए जाते है लेकिन लोगों की मूल आवश्यकता पूरी करने में लंबा समय लगा दिया जाता है।